शनिवार, 25 जनवरी 2014

वह तुम नहीं हो

कोई चीज़ रोके है मुझे
मगर वह तुम नहीं हो

ईश्वर ईश्वर रटते रटते  
मर गए कई फ़कीर
जिस ईश्वर को जपा उन्होंने
ईश्वर वह तुम नहीं हो.

क्या कहूँ मैं किसी से
कहने से क्या हो जाएगा
होता है अब जो होता रहे
अगर वह तुम नहीं हो.

पागल तो पागल है पागल
इस पागल का क्या कीजिए
पागल बने पागल के पीछे
पागल वह तुम नहीं हो

दुनिया वाले

दुनिया वाले इतने दिलजले हैं
नंगे को नंगा करने पर तुले हैं.

जाने कब तक चलेगा ये तमाशा
यहाँ भले बुरे और बुरे भले हैं.

कदम-कदम है अमृत की तलाश
हवस इतनी ज़हर चखते चले हैं.

अपना ही दुःख लगता है बड़ा
जिनसे मिले सब एक से मिले हैं.

दुनिया की ये है हकीकत ‘समीर’
ज़ख्म सबके जख्मों से सिले हैं.

अच्छा किया




जिसने भी जो किया अच्छा किया
अच्छा बुरा जो किया अच्छा किया.

अपने हैं यहाँ जो दे देते हैं सबक
हमने भी ले लिया अच्छा किया.

दुनिया में कोई अपना नहीं ‘समीर’
हमने पहचान लिया अच्छा किया.

गिला शिकवा किसी से क्या करें
भोगा अपना ही किया अच्छा किया